बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

भोर


सतरंगे पंखों पर आया

सोने का मोर

मुर्गे की बांग संग गूंजा

चिड़ियों का शोर



अलसाई हर टहनी डोली

गुड़िया ने भी आँखे खोली

पात पांत से तितली बोली

पुष्पन चहुँ ओर


भँवरो ने भी तान मिलाई

हर क्यारी गूंजी शहनाई

सूर्य जी बन आये सिपाही

तिमिर हुआ चोर



छुट्टी हो तो कसरत करना

देर तक किन्तु तुम ना सोना

दिन प्यारा सा आज बनाना

कहती है भोर


सतरंगे पंखो पर आया

सोने का मोर

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