शनिवार, 7 मई 2011

आज़ाद बुलबुल

आओ नन्हीं बुलबुल आओ
मीठा मीठा गीत सुनाओ
पिंजरा सोने का बना दूँ
हीरे उसमें लाख जड़ा दूँ


फल मीठे दूंगी खाने को
ठंडा ठंडा जल पीने को
न भाई न मैं नीलगगन की
सखी सहेली मुक्त पवन की


पिंजरे में रहना न भाये
बंदी कैसे स्वप्न सजाये
माना कि आज़ाद घूमोगी
नदिया पर्वत वन ढूँढोगी


रास्ता लेकिन भटक गयी तो
वर्षा गर्मी खटक गयी तो
मुश्किल से मैं न मानूँ हार
ये सभी तो ईश्वर उपहार




इस जग में वह ही जीतेगा
हिम्मत दिल में जो रख लेगा

3 टिप्‍पणियां:

  1. sundar-pyari baal kavitaa parh kar khushi hui. bachchon k liye likha janaa chahiye. shubhkamanae.

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  2. बड़ी प्यारी कविता लगी मुझे ; बड़े सच्चे और सरल भाव वाली है कविता आपकी
    धन्यवाद्

    बुलबुल को अंग्रेजी में पैराडाइज फ्लाईकैचर कहते है. नर पैराडाइज फ्लाईकैचर का रंग सफेद होता है और उसके सर पर काले रंग की कलंगी और २ लम्बे रिबन जैसी पूंछ होती है. मादा पैराडाइज फ्लाईकैचर हल्के लाल भूरे रंग की होती है और उस में पूंछ नही होती
    है.

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