भींत पार की सुन्दर
दुनिया
क्या सचमुच है
भूल-भुलैया
कोई तो मुझको ले जाए
बॉटल टिफिन नये
दिलवाए
विद्यालय का बस्ता
भारी
करनी पड़े खूब तैयारी
अक्सर मुझे डराते
भैया
लेकिन मैं जाऊँगा
मैया
ईंट सहारे ऊपर चढ़कर
कल ना देखूँगा मैं
छुपकर
नित-नित मैं व्यायाम
करूँगा
जीवन में शुभ काम
करूँगा
दीदी जैसा मेडल लाऊं
साहब पापा सा बन
जाऊं
पंखों को फैलाकर
अपने
देख रहा मैं सुन्दर
सपने
चित्र गूगल से साभार एवं ओबीओ परिवार को धन्यवाद सहित